How to Challenge a Will - क्या वसीयत के खिलाफ अदालत में मामला दायर किया जा सकता है? जानिए तरीका।

How to Challenge a Wil

आमतौर पर एक वसीयत तो चुनौती देना बहुत मुश्किल है। 90 प्रतिशत वसीयतें बिना चुनौती के ही पास हो जाती हैं। इन्हें कोर्ट वसीयतकर्ता या  वसीयत बनाने वाले की आवाज के रूप में देखता है, जो अब अपना पक्ष रखने के लिए मौजूद नहीं है। कोर्ट वसीयतों पर काफी यकीन करती हैं। लेकिन अगर आपकी वसीयत में कोई रुचि है तो आप उसे चुनौती दे सकते हैं। अगर आप कोर्ट में सही साबित हुए तो वसीयत का कुछ हिस्सा या पूरा अमान्य करार कर दिया जाएगा। प्रॉपगाइड आपको वह 7 आधार बता रहा है, जिनके तहत आप वसीयत को चुनौती दे सकते हैं। 
 
सही निष्पादन का अभाव: एक वैध वसीयत लिखित में होनी चाहिए। उस पर दो गवाहों की मौजूदगी में वसीयतकर्ता के दस्तखत होने चाहिए। गवाहों को भी वसीयत अटेस्ट करनी होती है। अगर इस प्रक्रिया के तहत काम नहीं हुआ तो कोर्ट में इसे चुनौती दी जा सकती है।
 
बिना इच्छा बनाई गई वसीयत: यहां आपको साबित करना होगा कि वसीयतकर्ता का विल बनाने का इरादा नहीं था। यह अर्जी बहुत कम लगाई जाती है, क्योंकि इसे साबित करना बहुत मुश्किल है। 
 
वसीयतनामा क्षमता का अभाव: कानून के मुताबिक 18 साल से बड़े लोग ही वसीयत बना सकते हैं। माना जाता है कि व्यस्कों में वसीयत करने की क्षमता होती है। इसे बुढ़ापे या पागलपन के आधार पर चुनौती दी जा सकती है या फिर वसीयतकर्ता किसी पदार्थ के नशे में था अथवा उसमें वसीयत बनाने की मानसिक क्षमता नहीं थी। असल में मानसिक क्षमता के आधार पर वसीयत को चुनौती देने पर आपको यह दिखाना होगा कि वसीयत बनाने वाले को निर्माण के वक्त इसके नतीजों के बारे में मालूम नहीं था।
 
ज्ञान की कमी या मंजूरी: यहां आप यह बात रख सकते हैं कि जब वसीयतकर्ता ने दस्तावेजों पर दस्तखत किए तब उन्हें यह मालूम नहीं था कि इसमें है क्या। 
 
किसी के प्रभाव में: आप वसीयत को इस आधार पर भी चुनौती दे सकते हैं कि वह धोखाधड़ी, जालसाजी या किसी के प्रभाव में आकर बनवाई गई है। एेसा तब होता है, जब कोई शख्स खुद प्रॉपर्टी में ज्यादा से ज्यादा हिस्सा पाने के लिए वसीयतकर्ता को प्रभावित कर रहा हो। 
 
धोखाधड़ी या जालसाजी: वसीयत धोखे या जालसाजी से बनवाई गई है, इसके लिए सबूत जुटाने का जिम्मा आपके ही हाथ में होगा।  
 
निरसन: परिवार द्वारा दावा: अगर वसीयत में पर्याप्त हिस्सा नहीं मिला है तो परिवार के सदस्य इस बात पर भी दस्तावेज को चुनौती दे सकते हैं। कानून के मुताबिक परिवार का मुखिया ही अन्य सदस्यों की अच्छी तरह देखभाल के लिए जिम्मेदार है, जैसा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में लिखा है। अगर वसीयत में इन लोगों के लिए उचित प्रावधान न किए गए हों या आश्रय के कानून के तहत उन्हें हक न मिला हो तो वह फैमिली कोर्ट या हाई कोर्ट में दावा ठोक सकते हैं।  

जानिए कौन वसीयत को चुनौती दे सकता है

वसीयत के खिलाफ अदालत में मामला दायर करने से पहले, उन आवश्यकताओं को जानना महत्वपूर्ण है जिन्हें पूरा किया जाना चाहिए। कानूनी स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है. इसका मतलब यह है कि आप वसीयत को चुनौती देने के हकदार हैं या नहीं। वसीयत में नामित व्यक्तियों और गैर-लाभार्थी जो लाभार्थी बन सकते हैं, उन्हें वसीयत का विरोध करने का अधिकार है यदि निर्णय उनके पक्ष में आता है। इसलिए, यदि आप कानूनी शर्तों को पूरा करते हैं, तो आप वसीयत को चुनौती दे सकते हैं।

यहां उन लोगों की सूची दी गई है जो वसीयत को चुनौती दे सकते हैं।

वारिस: विरासत, विरासत, विरासत वाले लोग। इन प्रमुख उत्तराधिकारियों में बच्चे, पति-पत्नी, दादा-दादी, भाई-बहन और माता-पिता शामिल हैं। यदि उत्तराधिकारियों को उनका उचित हिस्सा नहीं मिलता है या विरासत में उनका नाम नहीं है, तो वे वसीयत पर विवाद कर सकते हैं। वे वसीयत को कानूनी रूप से चुनौती दे सकते हैं क्योंकि वे मुख्य लाभार्थी हैं और कानून के अनुसार संपत्ति में अपना हिस्सा प्राप्त करेंगे।

अवयस्क: कोई नाबालिग वसीयत नहीं कर सकता क्योंकि कानूनी कार्रवाई की उम्र 18 वर्ष है। इसलिए, यदि किसी नाबालिग के अधिकार खतरे में हैं, तो माता-पिता या अभिभावक उनकी ओर से मुकदमा कर सकते हैं।

लाभार्थी: इन लोगों का नाम वसीयत में होता है और इन्हें संपत्ति का हिस्सा मिलता है; इनमें जीवित बच्चे, पति-पत्नी, दादा-दादी, पोते-पोतियां आदि शामिल हैं। वसीयत में, वसीयतकर्ता में एक समुदाय, मित्र, दान, विश्वविद्यालय आदि भी शामिल हो सकते हैं। इन लाभार्थियों को अपनी इच्छानुसार चुनौती देने का अधिकार है।

वसीयत को चुनौती (How to Challenge a Will) - कुछ महत्वपूर्ण बातें

अगर कोई वसीयत को चुनौती (How toChallenge awill) देना चाहता है तो कई शर्तों को पूरा करना होगा। यह जानना कि वसीयत को कौन चुनौती दे सकता है और वसीयत को कैसे चुनौती देनी है, प्रक्रिया को आसान बना सकती है। यदि आपके पास वसीयत के विरुद्ध अदालत में मामला दायर करने का अवसर है, तो पहले अपना मामला साबित करने के लिए आवश्यक सभी दस्तावेज़ इकट्ठा कर लें।

सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट को दाखिल करना

अदालत द्वारा मांगे गए सभी डॉक्यूमेंट और अपनी चुनौती को सपोर्ट करने वाले डॉक्यूमेंट फाइल करें। सुनवाई की उचित प्रोसेस को फॉलो करें। यदि चुनौती सफल होती हैं, तो विल पूरे या उसके हिस्से के रूप में अमान्य करार दी जा सकती हैं। वहीं डिस्ट्रीब्यूशन इंटेस्टेसि लॉस और फॅमिली रिलेशनशिप्स के अनुसार किया जाएगा। इसके एक्सक्यूशन को रोकने के लिए विल को जल्द से जल्द अदालत में चुनौती देना होगा।

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Frequently Asked Questions

Ans 1. अगर एक व्यक्ति को वसीयत बनाने के लिए धोखा दिया जाता है तो उसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. इस तरह के वसीयत को वसीयतकर्ता की स्वतंत्र सहमति से नहीं माना जाता है और इसे अदालत रद्द कर सकती है . अगर कोई वसीयत आपको बल या धमकी का इस्तेमाल करके बनाया गया है ऐसी वसीयत अवैध है और अदालत उसे रद्द कर सकती है.

Ans 2. इसे हमेशा अदालत के सामने चुनौती दी जा सकती है। यह भी जरूरी नहीं है कि पंजीकृत वसीयत मृतक का अंतिम वसीयतनामा है। एक नई अपंजीकृत वसीयत भी बनायी जाती है, जिसे वैध माना जाएगा और पंजीकृत वसीयत पर प्राथमिकता होगी। यदि वसीयत के बारे में कोई शक है तो उसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

Ans 3. Stringent Scrutiny: While registered Wills enjoy a presumption of authenticity, they can still be challenged on valid grounds such as undue influence, lack of testamentary capacity, or fraud.

Ans 4. That said, undue influence is one of the most common grounds for contesting a will, so if you opt to work with a probate attorney to bring a will contest on this ground, they will know what to do to improve your chances of a successful outcome.

Ans 5. If a sibling thinks the deceased made a will when not mentally capable to do so or were unduly influenced, then of course he/she can and should contest the will.