Land Encroachment Act : अतिक्रमण कानून क्या हैं? यदि कोई आपकी संपत्ति पर अतिक्रमण करता है तो आपको क्या करना चाहिए?

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भूमि अतिक्रमण अधिनियम (Land Encroachment Act) के बारे में 

भूमि अतिक्रमण पर कानून. अवैध निर्माण और भूमि अतिक्रमण जैसे नियम वर्षों से खबरों में रहे हैं। अतिक्रमण के संदर्भ में यह तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर लेता है। अतिक्रमण का सबसे बड़ा कारण जनसंख्या वृद्धि है। सरकारी तंत्र में लापरवाही का एक कारण भ्रष्टाचार भी है। सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण आम बात है. लेकिन ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है. आपकी जमीन या संपत्ति खाली होने पर कोई भी उस पर अतिक्रमण कर सकता है।

भारत में, भूमि अतिक्रमण (Encroachment) के मामले अधिक देखने को मिलते हैं, और अतिक्रमण के कई मामले अदालत में हैं। ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं, इसलिए अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना और भूमि अतिक्रमण (Encroachment) से निपटने का तरीका जानना बेहद जरूरी है।

इस ब्लॉग में हम भूमि अतिक्रमण (Encroachment) का मतलब, भारतीय भूमि अतिक्रमण अधिनियम (Land Encroachment Act of India) क्या है, भूमि अतिक्रमण से कानूनी तरीके से कैसे निपटें आदि के बारे में समझेंगे।

भूमि अतिक्रमण (Land Encroachment) क्या है?

किसी मालिक के संपत्ति अधिकारों का उल्लंघन, भूमि अतिक्रमण (Encroachment) कहलाता है। अगर कोई व्यक्ति किसी इमारत या प्रॉपर्टी में गैरकानूनी तरीके से प्रवेश करता है या इमारत के कुछ हिस्से को जानबूझकर या अनजाने में किसी और की प्रॉपर्टी में बढ़ाता है, तो इसे अतिक्रमण करना कहा जाता है। भूमि अतिक्रमण (Encroachment) को कभी-कभी प्रॉपर्टी अतिक्रमण भी कहा जाता है, लेकिन दोनों के बीच थोड़ा अंतर है। आइए एक उदाहरण से समझते हैं कि ये दोनों में क्या अंतर है। मान लीजिए कि श्वेता ने नोएडा में जमीन खरीदी और उसे वैसे ही रहने दिया, यानी उसने उस पर कोई निर्माण कार्य नहीं कराया है। कुछ समय बाद, जब श्वेता अपनी जमीन देखने आती है, तो उसे अपनी जमीन के चारों ओर एक चारदीवारी बनी हुई नज़र आती है। यह भूमि अतिक्रमण (Encroachment) का उदाहरण है।

अब संपत्ति अतिक्रमण का एक उदाहरण देखते हैं। अजय अपने घर को रेनोवेट करा रहे हैं और अपने पड़ोसी बख्शी की पार्किंग तक अपने बगीचे को बढ़ाने का सोचते हैं। यह संपत्ति का अतिक्रमण है। बख्शी ऐसा करने देते हैं, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि यह अस्थायी है, लेकिन संपत्ति बेचने के दौरान इससे विवाद पैदा हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अजय अतिक्रमण की गई संपत्ति को बेचने नहीं देंगे। इसलिए, पता होना जरुरी है कि ऐसी समस्या से कैसे निपटा जाए।

Land Encroachment Act

अतिक्रमण (Encroachment) और ट्रेस्पैसिंग (घुसपैठ) के बीच अंतर

कई बार लोग भूमि अतिक्रमण (Encroachment) को ट्रेस्पैसिंग या घुसपैठ समझ लेते हैं। हालाँकि, ये दोनों अलग-अलग शब्द हैं। अतिक्रमण में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की संपत्ति का अवैध तरीका से इस्तेमाल करता है। जबकि किसी संपत्ति के मालिक की सहमति के बिना उसकी संपत्ति में प्रवेश करना, ट्रेस्पैसिंग या घुसपैठ कहलाता है। अतिक्रमण तीन प्रकार का होता है:-

  • व्यक्ति का - जब किसी व्यक्ति को वह कार्य करने हेतु प्रतिबंधित किया जाता है जो उसने पहले किया हो।

  • चल संपत्ति का मालिक - कोई मालिक अपनी ही चल संपत्ति का उपयोग करने में परेशानी का सामना करता है।

  • संपत्ति या भूमि का - कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति या भूमि पर कब्जा करने के उद्देश्य से प्रवेश करता है।

भूमि अतिक्रमण अधिनियम, भारत

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 441 भूमि एवं संपत्ति के अतिक्रमण पर लागू होती है। धारा 441 के अनुसार, अतिक्रमण तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य की संपत्ति को अवैध रूप से कब्जा करने का प्रयास करता है। यह एक अपराध है। भूमि अतिक्रमण (Encroachment) पर IPC की धारा 447 के तहत जुर्माने का प्रावधान है। अगर कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसे 550 रुपये जुर्माना और तीन महीने तक की कैद होगी। निम्नलिखित तरीके से, कानून अतिक्रमण से निपटने में मदद करता है: -

  • निजी जमीन पर ट्रेस्पैसिंग या घुसपैठ करने पर भी धारा 441 लागू होती है और धारा 442 के तहत यह अपराध है।

  • न्यायपालिका अतिक्रमण पर रोक लगा सकती है या उस पर लगाम लगा सकती है।

  • न्यायपालिका अतिक्रमण संबंधित कानून के अनुसार मुआवजे का भुगतान करने के लिए भी कह सकती है। मुआवजे की गणना वर्तमान भूमि मूल्य तथा हुई हानि के आधार पर की जाती है।

  • हर्जाने के लिए, आदेश 39 (नियम 1, 2 और 3) के अनुसार अदालत का रुख करें।

भूमि अतिक्रमण (Encroachment) अधिनियम के तहत जुर्माना

IPC की धारा 447 के तहत अतिक्रमण करने वाले को 550 रुपये जुर्माना या/और 3 महीने तक की कैद हो सकती है। सजा जुर्माने के हिसाब से तय की जाएगी।

भूमि अतिक्रमण (Encroachment) की शिकायत

अगर आपकी जमीन या संपत्ति पर किसी ने कब्जा कर लिया गया है, तो पहला कदम अधिकारियों के समक्ष शिकायत दर्ज करना है। भूमि अतिक्रमण (Encroachment) के शिकायत पत्र का सैंपल फॉर्मे
इस प्रकार है:-

संपत्ति के अतिक्रमण से निपटने से तरीके

भूमि अतिक्रमण (Encroachment) की समस्या को हल करने के दो तरीके हैं। एक तरीका आपसी सहमति, और दूसरा कानूनी तरीका है। आपसी सहमति को आगे कई भागों में बांटा गया है, जो इस प्रकार है:-

  • मध्यस्थता - अतिक्रमण की समस्या को हल करने के लिए मध्यस्थता सबसे आसान तरीका है। इससे समय के साथ-साथ पैसे की भी बचत होती है। अपना अधिकार साबित करने के लिए आपको केवल संपत्ति का पेपर पेश करने की जरूरत होती है।

  • बेच दें व पैसा विभाजित कर लें - आप किसी विशेषज्ञ की मदद लें सकते हैं, और यदि उसका सुझाव है, तो दोनों पक्ष मिलकर संपत्ति को बेच सकते हैं और धन को विभाजित कर सकते हैं।

  • संपत्ति बेचें - यदि आप रुचि रखते हैं तो आप अतिक्रमणकर्ता को संपत्ति बेच सकते हैं। इस तरह, अतिक्रमणकर्ता को संपत्ति का कानूनी अधिकार मिल जाता है।

  • किराए पर दें - यदि कोई अतिक्रमणकर्ता एक निश्चित अवधि के लिए संपत्ति चाहता है और कानूनी स्वामित्व नहीं चाहता है, तो आप संपत्ति को किराए पर दे सकते हैं। कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने तक आप पैसे के बदले ऐसा कर सकते हैं।

कानूनी रूप से भूमि अतिक्रमण से कैसे निपटें

संपत्ति के मालिक को पता होना चाहिए कि ऐसी स्थिति में भूमि अतिक्रमण (Encroachment) के मामले को कानूनी रूप से कैसे निपटाया जाए। भारतीय कानून संपत्ति के मालिकों को अतिक्रमणकर्ता के खिलाफ अपनी संपत्ति की सुरक्षा करने की सुविधा देता है। आइए उपलब्ध कानूनी तरीकों को समझते हैं जिनका इस्तेमाल अतिक्रमण के मामलों को संभालने के लिए किया जा सकता है:

  • स्थायी या अस्थायी निषेधाज्ञा - निषेधाज्ञा एक कानूनी शब्द है जिसका इस्तेमाल अदालत से आधिकारिक आदेश के संदर्भ में किया जाता है। भूमि अतिक्रमण (Encroachment) के मामले में, स्थायी निषेधाज्ञा एक ऐसा आदेश है जहां अदालत अतिक्रमणकारियों को संपत्ति का इस्तेमाल करने से मना करती है। अस्थायी निषेधाज्ञा तब होती है जब अदालत कुछ समय के लिए अतिक्रमणकारियों को संपत्ति का इस्तेमाल करने से रोकती है।

  • संपत्ति मालिक अतिक्रमणकारियों के खिलाफ आदेश 39, नियम 1 और 2 के तहत मामला दर्ज कर सकता है।

  • इसके बाद आवेदन की जांच की जाएगी और फिर जवाब दाखिल करना होगा। प्रतिक्रिया के आधार पर, अदालत आवेदन को अस्वीकार/स्वीकार करती है।

  • एकपक्षीय निषेधाज्ञा - भारत की न्याय प्रणाली एक पक्षीय निषेधाज्ञा पारित करती है यदि केवल एक पक्ष ही जवाब देता है। इस मामले में, अदालत दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा नहीं करती है।

भूमि अतिक्रमण अधिनियम (Land Encroachment Act) : न्यायालय के बाहर निपटारा

Land Encroachment  से निपटने का सही तरीका एक कानूनी प्रक्रिया है, हालाँकि यह इसमें कभी कभी काफी समय लग सकती है। इसमें न सिर्फ आपका काफी समय लगेगा बल्कि आपको काफी पैसे भी खर्च करने पड़ेंगे। इसलिए, यदि आप अदालत के बाहर समझौता कर सकते हैं तो आपको अदालत के बाहर ही समझौता करना चाहिए। 

  • आप अतिक्रमण करने वाले को लिखित नोटिस दे सकते हैं। यदि समय रहते अतिक्रमण करने वाला व्यक्ति नहीं हटता है तो आप न्यायालय जा सकते हैं।

भूमि के स्वामित्व को साबित करने हेतु आवश्यक दस्तावेज

यदि आप भूमि अतिक्रमण (Encroachment) की समस्या को हल करने के लिए कानूनी रास्ता अपना रहे हैं, तो आपको निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने पड़ सकते हैं: -

  • हक विलेख

  • खरीदी अनुबंध

  • दाखिल खारिज प्रमाणपत्र

  • आपके नाम पर उपयोगिता बिल

आंध्र प्रदेश भूमि अतिक्रमण अधिनियम, 1905

सरकारी ज़मीन पर अनधिकृत कब्जे की जांच हेतु उपाय प्रदान करने के लिए अधिनियम।

जबकि सरकार अपनी जमीनों पर अनाधिकृत कब्जे को दंडात्मक या निषेधात्मक मूल्यांकन या शुल्क लगाने का काम कर रही है, और इस बात पर संदेह पैदा हो गया है कि इस तरह के कानून कितने हद तक अधिकृत है। ऐसे कब्जे की जांच के लिए भूमि अतिक्रमण अधिनियम के तहत वैधानिक प्रावधान करना आवश्यक है। राज्य सरकार ने इसके द्वारा भूमि अतिक्रमण अधिनियम अधिनियमित किया है। इस अधिनियम को आंध्र प्रदेश भूमि अतिक्रमण अधिनियम, 1905 के रूप में उद्धृत किया जा सकता है। यह पूरे आंध्र प्रदेश राज्य में लागू है।

आंध्र प्रदेश के भूमि अतिक्रमण अधिनियम के तहत, कोई भी व्यक्ति जो अनधिकृत रूप से किसी भी ज़मीन पर कब्जा करता है, जहां से उसे इस धारा के तहत बेदखल किया गया था, उसे छह महीने तक की कैद या जुर्माने से दंडित किया जाएगा। 

हलद्वानी भूमि अतिक्रमण मामला

पिछले दो सप्ताह से हलद्वानी के 50 हजार लोगों पर बेघर होने की नौबत आ गई है। भारतीय रेलवे हलद्वानी रेलवे स्टेशन के विस्तार की योजना बना रहा है, जिसके कारण अतिक्रमित भूमि पर स्थित 4,365 घरों को हटा दिया जाएगा।   

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर कहा कि इसका कोई व्यावहारिक समाधान निकाला जाए। 

हल्द्वानी अतिक्रमण मामले पर उत्तराखंड हाई कोर्ट का रुख

20 दिसंबर को, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हलद्वानी के बनभूलपुरा में अतिक्रमित रेलवे भूमि पर बने घरों को गिराने का आदेश दिया। घरों को गिराने से सात दिन पहले नोटिस दिया गया था। नवंबर 2016 में हाईकोर्ट ने 10 सप्ताह के अंदर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि सभी अतिक्रमणकारियों को रेलवे सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जेदारों की बेदखली) अधिनियम 1971 के तहत लाया जाना चाहिए।

भूमि को अतिक्रमण से बचाने के उपाय

यह हर किसी को मालूम है कि सावधानी ही बचाव है, इसलिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जिससे भूमि पर अतिक्रमण (Encroachment) की संभावना कम हो सकती है।

  • अगर आप एनआरआई हैं या आपकी संपत्ति किसी दूसरे देश में है, तो पारिवारिक मित्र या रिश्तेदार को पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) दें।

  • संपत्ति के चारों ओर बोर्ड या बाड़ लगाएं।

  • ऐसे व्यक्ति को किराए पर रखें जो संपत्ति की देखभाल कर सके। जैसे संपत्ति की नियमित देखरेख करना।

  • थोड़ा निर्माण कार्य कराकर सिक्योरिटी गार्ड या किरायेदार रखें। उनके लिए उचित दस्तावेज तैयार करें। आप दस्तावेज़ तैयार करने के लिए वकील भी रख सकते हैं।

  • अगर आपने किराएदार रखा है तो नजदीकी पुलिस स्टेशन में वेरिफिकेशन कराएं। आजकल कुछ शहरों में रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो गया है।

  • किरायेदार से पूछताछ करें, और यदि आप वरिष्ठ नागरिक हैं, तो आपको अधिक सावधान रहना चाहिए।

  • समय-समय पर मौजूदा शर्तों पर लीज एग्रीमेंट का नवीनीकरण करें।

Land Enroachment Act (भूमि अतिक्रमण अधिनियम) : कुछ खास बातें

भारत में कई लोगों को भूमि अतिक्रमण (Encroachment) की समस्या का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से हर किसी को भारतीय भूमि अतिक्रमण (Encroachment) अधिनियम के बारे में जानना चाहिए। अतिक्रमण की समस्याओं को हल करने हेतु कई तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। कानून के अनुसार, अतिक्रमणकर्ता को 550 रुपये का जुर्माना देना होता है या/और तीन महीने तक के कारावास का सामना करना पड़ेगा। ऐसी नौबत न आये, इसलिए सावधानी ही सबसे अच्छा तरीका है। इसलिए, अगर आपके पास कोई खाली पड़ी संपत्ति है, तो सावधान रहें। 

 

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Frequently Asked Questions

Ans 1. यह किसी संपत्ति पर कब्ज़ा करने के उद्देश्य से किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति पर अवैध नियंत्रण है। भारतीय दंड संहिता की धारा 441 के तहत भूमि अतिक्रमण एक दंडनीय अपराध है।

Ans 2. भूमि अतिक्रमण से निपटने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे अच्छा तरीका मध्यस्थता होगा, क्योंकि इससी कानूनी लड़ाई में होने वाले खर्च और मानसिक उत्पीड़न से बचाने में मदद मिलती है। दूसरा तरीका कानूनी प्रक्रिया है जिसमें काफी समय लगता है।

Ans 3. भारतीय दंड संहिता (IPC) 447 के अनुसार, भूमि पर अतिक्रमण करने वाले को 550 रुपये या/और तीन महीने तक की कैद होगी।

Ans 4. हां, यदि आपका पड़ोसी आपकी संपत्ति के किसी भी हिस्से पर अतिक्रमण करता है तो यह गैरकानूनी और दंडनीय अपराध है। संपत्ति का अतिक्रमण पार्किंग स्थान, उद्यान, बालकनी या अन्य स्थान पर किया जा सकता है और यह एक अपराध है।

Ans 5. यदि आप भूमि अतिक्रमण के मुद्दों को कानूनी रूप से हल करना चाहते हैं, तो आपको आदेश 39 (नियम 1, 2 और 3) के अनुसार अदालत में स्थायी या अस्थायी निषेधाज्ञा के लिए आवेदन करना चाहिए।

Ans 6. हां, आप भूमि अतिक्रमण के कारण हुए नुकसान का दावा कर सकते हैं। हालाँकि, यदि आप अदालत में शिकायत दर्ज करके ऐसा कानूनी रूप से करते हैं तो इससे मदद मिलेगी।

Ans 7. भूमि स्वामित्व साबित करने के लिए आपको अपने नाम पर स्वामित्व विलेख, खरीद समझौता, दाखिल खारिज प्रमाणपत्र और यूटिलिटी बिल जैसे दस्तावेज़ जमा करने होंगे।

Ans 8. अतिक्रमण ऐसा कार्य है जिसमें कोई व्यक्ति किसी संपत्ति के मालिक की सहमति के बिना या उसके विरुद्ध किसी और की संपत्ति पर कब्जा करता है।

Ans 9. अतिक्रमण के विभिन्न प्रकार व्यक्ति, संपत्ति या भूमि के हैं। व्यक्ति का तात्पर्य तब होता है जब किसी व्यक्ति को वह काम करने से प्रतिबंधित किया जाता है जो वह पहले करता था। संपत्ति तब होती है जब कोई मालिक अपनी चल संपत्ति का उपयोग करके परेशान होता है और संपत्ति या भूमि पर कब्ज़ा करने के उद्देश्य से कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति या भूमि में प्रवेश करता है।

Ans 10. भूमि अतिक्रमण अधिनियम की धारा 441 अपराध करने या संपत्ति पर कब्ज़ा करने की धमकी देने के लिए बिना अनुमति के किसी और की संपत्ति में अवैध रूप से प्रवेश करने का कार्य है।

Ans 11. संपत्ति के मालिक के लिए उपलब्ध उपचार और अधिकार अतिक्रमण के समान ही हैं। भारतीय दंड संहिता के तहत, आपराधिक इरादे से अतिक्रमण एक अपराध है।

Ans 12. अपनी ज़मीन के चारों ओर चारदीवारी का निर्माण करके भूमि अतिक्रमण को रोका जा सकता है। आप दूसरों को सचेत करने के लिए एक नोटिस बोर्ड भी लगा सकते हैं जिसमें यह लिखा गया हो कि आप प्लॉट के असली मालिक हैं।